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बादलों की धुन, बारिश की कविता

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निर्जल धरती पर छाए हुए गहरे पर्वतों की कविता सुनकर, मानो सांसें में एक तरल ताजगी भर https://haleemaqvfa996655.activoblog.com/38156056/ब-दल-क-ध-न-ब-र-श-क-कव-त

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