जिनके रोम-रोम में शिव हैं वही विष पिया करते हैं जमाना उन्हें क्या जलाएगा, जो श्रृंगार ही अंगार से किया करते हैं मेरे जिस्म जान में भोलेनाथ नाम तुम्हारा है, आज अगर मैं खुश हूँ तो यह एहसान भी तुम्हारा है थामा हुआ है हाथ मेरा आपने मुझको मालूम https://theop888mfx9.blogdal.com/profile